हाईकोर्ट ने कुलपति नियुक्ति पर राज्यपाल पटेल को थमाया नोटिस
भोपाल
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति बालकृष्णा शर्मा की नियुक्ति में अपनी मनमानी की है। इसे लेकर होल्कर कालेज के पूर्व प्राचार्य सेवानिवृत्त डॉ. शंकर लाल गर्ग ने कुलपति की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में गुहार लगाई थी। इसके चलते हाईकोर्ट की युगलपीठ ने राज्यपाल पटेल को नोटिस देकर जवाब तलब किया है। जानकारी के मुताबिक विक्रम विवि के कुलपति एसएस पांडे को शिक्षक नियुक्ति और किताबों की खरीदी में घोटाले करने के साथ फर्जी ई-स्टाप तब बनाने में दोषी पाया है। इसके चलते उच्च शिक्षा विभाग ने हटाने के लिए धारा 52 की फाइल चलाई, लेकिन राज्यपाल ने अपनी मर्जी से कुलपति शर्मा की नियुक्ति कर दी। जबकि धारा 52 की दशा में राज्यपाल को शासन से परामर्श कर कुलपति की नियुक्ति करता है। इसी पैनल में अपीलकर्ता गर्ग का नाम भी शामिल था। राज्यपाल पटेल ने अपनी मनमर्जी से शासन के पैनल को नजरअंदाज कर अपनी मनमर्जी से कुलपति शर्मा की नियुक्ति कर दी। उनके द्वारा कुलपति शर्मा की नियुक्ति को रिटायर प्रिंसिपल गर्ग ने हाईकोर्ट में चुनौति दी है। इंदौर हाईकोर्ट में न्यायाधीश एससी शर्मा व विरेंद्र सिंह ने सुनवाई कर राज्यपाल पटेल को नोटिस दिया है। डॉ. गर्ग की तरफ से एडवोकेट अजय बागडिय़ा और कीर्ति दुबे ने पैरवी की।
मंत्री पटवारी खत्म करेंगे विवि का भ्रष्टाचार
सूबे के विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके है। प्रदेश में स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार की जांच के लिए हाईकोर्ट आदेश दे रहा है, लेकिन राजभवन और भाजपा सरकार सुन नहीं रही थी। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उच्च शिक्षा विभाग की कमान मंत्री जीतू पटवारी को सौंपी गई। इसके बाद सबसे पहले विक्रम विश्वविद्यालय पर शिकंजा कसा गया। कुलपति एसएस पांडे शिक्षक नियुक्ति और किताब खरीदी में करोड़ों रूपए के घोटाला में फंसे थे। कुलपति ने फर्जी ई-स्टाप तक बना डाले।
क्या है शर्मा की जमीनी स्थिति
राज्यपाल पटेल ने विक्रम विवि में आपातकाल लगाते हुए डॉ. बालकृष्ण शर्मा को नियुक्ति किया है। जबकि वे गैर शैक्षणिक पद मूल रूप से पदस्थ है। उनका विभाग शोध केंद्र है। यूजीसी के नियमों के अनुसार कुलपति के लिए 10 वर्ष के अनुभव के साथ प्रोफेसर होना जरूरी है। कुलाधिपति ने कुलपति नियुक्ति आदेश में बालकृष्ण को संस्कृत विषय का प्रोफेसर बता दिया। जबकि संस्कृत विभाग से बालकृष्ण का कोई भी लेना-देना नहीं है।
मोदी के पीएस के करीब पूर्व वीसी
विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एसएस पाण्डे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीएमओ में पदस्थ प्रमुख सचिव नपेंद्र मिश्र के करीबी है। इसी के चलते उनके भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पूर्व बीजेपी सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती थी। पूर्व कुलपति पाण्डे सार्वजनिक स्थलों पर बीजेपी के नेताओं के साथ घूमते हुए नजर आते थे। इसी के चलते राज्यपाल पटेल पिछले दो माह से इंदौर हाईकोर्ट में अवमनाना प्रकरण में कुलपति की जांच रिपोर्ट नहीं दे रही है। राज्यपाल ने पहले तर्क दिया कि कुलपति ने इस्तीफा दे दिया है। तो मामले को खत्म किया जाए। इस पर सवाल उठा कि अगर कोई भी भ्रष्टाचार कर इस्तीफा दे दें। तो उसके मामले खत्म किए जाए। न्यायायल ने जांच रिपोर्ट के आधार पर हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी। यह जानकारी तीन माह से राज्यपाल नहीं दे रही है। तीन बार न्यायालय ने तारीख बढ़ चुकी है।
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